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Haryana News: थर्मल पावर प्लांट की वजह से उजड़ रहा रतनपुरा गांव, दो साल से ना आई बारात, ना गई विदाई!

Haryana News: रतनपुरा गांव के लोग कहते हैं कि जब से गांव में थर्मल पावर प्लांट बना है, तब से रिश्तेदार आना बंद हो गए हैं। पिछले दो सालों से न किसी युवा ने घोड़ी चढ़ी और न ही किसी बेटी की डोली गांव से निकली है। पावर प्लांट से निकलने वाली काली राख ने गांव के वर्तमान को खराब कर दिया है और भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया है। घरों में बिछी राख देखकर रिश्ता लेकर आए लोग चुपचाप लौट जाते हैं और कहते हैं—”घर जाकर बात करेंगे।”

राख से बीमारियां बढ़ीं, शादी-ब्याह बंद

गांववालों की हालत ये हो गई है कि हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है। महिलाएं दिन भर घर की सफाई में लगी रहती हैं, कपड़े भी खुले में नहीं सूख सकते। घरों के आंगन में बैठना तक मुश्किल हो गया है। बच्चे और बुजुर्ग लगातार बीमार पड़ रहे हैं। पिछले तीन सालों से कोई मेहमान भी गांव नहीं आया है। शादी के रिश्ते लेकर आने वाले लोग राख देख कर ही मना कर देते हैं। गांव के सतिश राणा कहते हैं—”राख की वजह से आंखों और सांस की बीमारियां फैल रही हैं, और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशान हैं।”

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गांव को विस्थापित करने की मांग, PM मोदी रखने जा रहे तीसरी यूनिट की नींव

रतनपुरा और कायमपुरा पंचायत के लोगों की मांग है कि थर्मल पावर प्लांट का विस्तार हो, पर गांव को किसी दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए। बता दें कि मार्च 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने इस थर्मल पावर प्लांट की नींव रखी थी। 2005 में इसके निर्माण की शुरुआत हुई और 2008 में यह चालू हुआ। दो यूनिट 300-300 मेगावाट की पहले से बिजली बना रही हैं और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अप्रैल को तीसरी यूनिट (800 मेगावाट) की नींव रखने आ रहे हैं।

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गांव की आबादी 2300, राख में सिसक रहा जीवन

कायमपुरा पंचायत में रतनपुरा और कायमपुरा दो गांव आते हैं, जिनमें करीब 350 घर हैं और कुल मिलाकर 2300 की आबादी है। यहां क्षत्रिय और अनुसूचित जाति के लोग अधिक संख्या में रहते हैं। सरपंच राजकुमार का कहना है कि राख के कारण गांव में न रिश्तेदार आते हैं और न ही कोई विवाह होता है। पूर्व सरपंच जितेंद्र राणा बताते हैं कि गांव के करीब 30-40 युवक विवाह योग्य हो गए हैं, लेकिन राख देखकर कोई भी रिश्ता नहीं करता। राख खेतों में जाकर फसलें भी बर्बाद कर रही है और जब तक गांव को विस्थापित नहीं किया जाएगा, तब तक कोई राहत नहीं मिलेगी।

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